द्रव्यमान-ऊर्जा समतुल्यता
भौतिकी में, द्रव्यमान-ऊर्जा समतुल्यता (mass–energy equivalence) के सिद्धान्त के अनुसार यदि किसी वस्तु में कुछ द्रव्यमान है तो उसमें उसके तुल्य एक ऊर्जा होती है और यदि उसमें कुछ ऊर्जा है तो उसके तुल्य एक द्रव्यमान होता है। द्रव्यमान और ऊर्जा, अलबर्ट आइंस्टीण के निम्नलिखित सूत्र से एक दूसरे से सम्बन्धित हैं-
अर्थात यदि १ kg द्रव्यमान की क्षति होती हैं तो उसके समतुल्य ९×१०१६ जुल ऊर्जा मुक्त होता हैं। यही कारण है कि सूर्य निरंतर रूप से द्रव्यमान क्षति के कारण अपार रूप से प्रकाश तथा उष्मीय ऊर्जा उत्सर्जित कर रहा हैं। पृथ्वी प्रति सेकंड सूर्य की जितनी ऊर्जा अवशोषित करती हैं, उतनी ऊर्जा से एक ट्रेन लगातार दश वर्षो तक बिना रुके चलाई जा सकती हैं। स्वाभाविक है कि ऊर्जा के इतने अपार रूप से हुए अवशोषण से पृथ्वी का द्रव्यमान सदियो से बढ़ रहा है। लेकिन पृथ्वी के द्रव्यमान के सापेक्ष यह उपेछणीय हैं।